कौन थे वानर ?: रामायण के योद्धाओं का वास्तविक परिचय

नमस्ते शिक्षार्थियों!

क्या आपने कभी सोचा है कि रामायण की वानर सेना, जिसमें हनुमान जी, सुग्रीव, अंगद, और बालि जैसे वीर शामिल थे, वास्तव में कौन थे? क्या वे बंदर थे, जैसा कि हम अक्सर सोचते हैं, या सत्य कुछ और ही है? आइए, हम मिलकर वाल्मीकि रामायण की इस गुत्थी को सुलझाने की एक यात्रा पर चलें, जहाँ इस अद्भुत वानर सेना का वास्तविक रूप धीरे-धीरे हमारे सामने उजागर होगा।

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उपनिषदों से मिलने वाली अद्भुत शिक्षाएँ (भाग 2)

नमस्ते शिक्षार्थियों!

उपनिषद् केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, वे जीवन को समझने और सही दिशा में चलने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन देते हैं। ये हमारे प्राचीन ज्ञान के वह बहुमूल्य संग्रह हैं जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं जितने सहस्त्रों वर्ष पहले थे। इस दूसरे भाग में हम उन पाँच और उपनिषदों की ओर देखेंगे, जिनकी शिक्षाएं हमारे जीवन में स्थायित्व, उद्देश्य और संतुलन लाने में सहायता करती हैं।

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उपनिषदों से मिलने वाली अद्भुत शिक्षाएँ (भाग 1)

नमस्ते शिक्षार्थियों!

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में जीवन के सबसे गहरे और महत्वपूर्ण रहस्य छिपे हैं? उपनिषदों के माध्यम से हमें न केवल ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्यों का ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि यह भी सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन को कैसे जीना चाहिए। आज के लेख में हम 5 प्रमुख उपनिषदों – मुंडक, प्रश्न, कट, केन, और ईश उपनिषद् – के ज्ञान पर चर्चा करेंगे। चाहे आप युवा हों या बुजुर्ग, इन उपनिषदों की शिक्षाएँ जीवन को एक नई दिशा और अर्थ प्रदान करती हैं।

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Wisdom from the Five Principal Upanishads: A Journey for Every Generation

Namaste Shiksharthis!

The Upanishads, ancient texts of wisdom, offer insights that have the power to transform our lives. Today, we explore the five principal Upanishads: Mundaka, Prashna, Katha, Kena, and Isha, and the lessons they hold for both young and old. These teachings are not just for scholars but for anyone who seeks to live with purpose, make better decisions, and understand the mysteries of life. Whether you’re a teenager, a curious adult, or even a child, the wisdom of these Upanishads is something you can carry with you forever.This is part one of the blog in which we will cover five major Upanishads, and in part two, we will cover another five Upanishads.

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अद्वैत बनाम शुद्ध-अद्वैत: शंकराचार्य और वल्लभाचार्य के विचारों का अन्तर!

नमस्ते शिक्षार्थियों!

क्या यह संसार और ईश्वर एक ही हैं? या दोनों अलग-अलग शक्तियाँ हैं? यह मानवता की एक अंतहीन खोज रही है कि वह एक ऐसा उत्तर, एक ऐसी व्याख्या ढूंढ निकाले जो सब कुछ स्पष्ट कर दे।

हमारी बुद्धि, चाहे वह कितना भी विशाल क्यों न हो, उस सब को समझने की कोशिश करती है।

भारतीय दर्शन इसी खोज से भरा पड़ा है और अद्वैत और शुद्ध-अद्वैत जैसी महान दार्शनिक अवधारणाओं ने इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है। इनमें से शंकराचार्य का अद्वैत और वल्लभाचार्य का शुद्धाद्वैत विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जो इस पुरातन प्रश्न पर अपने अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं: क्या केवल एक ही वास्तविकता है या कई?

तो आइए जानते हैं कि शंकराचार्य और वल्लभाचार्य ने इस विषय पर क्या विचार प्रस्तुत किए और कैसे ये दोनों मत एक ही लक्ष्य की ओर अलग-अलग रास्ते दिखाते हैं।

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A philosophical debate between Shankaracharya and Vallabhacharya

Namaste Shiksharthis!

Our mind, no matter how vast, strives to understand it all. It’s been humanity’s quest to find that one answer, that singular explanation that would bring clarity to everything. Indian philosophy is rich with such inquiries, and the search for this one fundamental reality has shaped several philosophical schools. Among these, Advaita by Shankaracharya and Shuddhadvaita by Vallabhacharya stand out, offering unique perspectives on this age-old question: Is there just one reality, or are there many?

Join us on this journey through these fascinating philosophies, where we explore the insights of these great thinkers and their approach to understanding the universe.

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