शून्यवाद vs. निहिलिज़्म: सत्य की खोज

नमस्ते शिक्षार्थियों!

कल्पना करें एक ऐसी दुनिया जहां वास्तविकता का सार विचारों, शब्दों, या तर्क से पूरी तरह समझा नहीं जा सकता। दूसरी शताब्दी के बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने शून्यवाद के दर्शन के माध्यम से अस्तित्व की हमारी धारणाओं को चुनौती दी। पश्चिमी विचारधारा इसे निहिलिज्म के रूप में देखती है, लेकिन नागार्जुन का शून्यवाद यह बताता है कि ब्रह्मांड में कुछ भी स्थायी, स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखता। वास्तव में, इस सिद्धांत में एक सुंदर गहराई है जो हमें जीवन की सतह से परे देखने के लिए प्रेरित करती है। जबकि कुछ लोग शून्यवाद को निहिलिज्म से तुलना करते हैं, जो जीवन को अर्थहीन मानता है, नागार्जुन का दर्शन हमें ब्रह्मांड और हमारी भूमिका को समझने का एक परिवर्तनकारी तरीका प्रदान करता है।

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गौतम बुद्ध: तार्किकता और करुणा का मेल

नमस्ते शिक्षार्थियों!

गौतम बुद्ध ने पुनर्जन्म, संसार और दार्शनिकता की गहराइयों को तार्किकता और विचारों से नापा। उन्होंने उन सवालों का उत्तर दिया जिन्हें न तो किसी ने पहले सोचा था और न बाद में। उनकी सोच ने दुनिया के कई हिस्सों को प्रभावित किया। आइए जानें कि गौतम बुद्ध की शिक्षाओं में ऐसा क्या था जिसने कई देशों को आकर्षित किया और महान सम्राट अशोक को भी अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित किया।

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Śūnyavāda vs. Nihilism: Clearing Misconceptions

Namaste Shiksharthis!

Imagine a world where the essence of reality cannot be fully understood through thoughts, words, or logic. Nāgārjuna, a Buddhist philosopher from the 2nd century, challenged people’s perceptions of existence by introducing the philosophy of Śūnyavāda or the Theory of Emptiness. Unlike Western ideas that label it as nihilism, Nāgārjuna’s Śūnyavāda dives deeper into the idea that nothing in the universe has a permanent, independent existence.

In fact, this theory has a beautiful depth to it that requires us to look beyond the surface of life. While some may compare Śūnyavāda to nihilism, which suggests that life is meaningless, Nāgārjuna’s philosophy offers a transformative way of understanding the universe and our role in it.

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Gautam Buddha’s Logical approach towards Nirvana.

Namaste Shiksharthis!

Long ago, there lived a prince who had everything—a grand palace, loving parents, and every luxury you could imagine. Yet, despite all of this, the young prince felt that something was missing. He often wondered about the world beyond the palace walls.

His name was Siddhartha, and little did he know, his questions and curiosity would one day lead him to become one of the greatest teachers the world has ever known. This is the story of how a curious prince became Gautama Buddha, the Enlightened One, and how his simple teachings continue to guide millions of people towards peace and happiness.

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