ईश्वर का स्वरूप: वेदों में निर्गुण और पुराणों में सगुण
नमस्ते शिक्षणार्थियों,
ईश्वर के स्वरूप को लेकर मानव समाज में सदियों से विभिन्न मत और दृष्टिकोण रहे हैं। एक ओर वेदांत दर्शन ईश्वर को निर्गुण और निराकार मानता है, वहीं दूसरी ओर पुराणों में सगुण देवताओं की पूजा का महत्व बताया गया है। यह द्वंद्व कई बार लोगों के मन में उलझन पैदा करता है कि आखिर ईश्वर का वास्तविक स्वरूप क्या है। क्या ईश्वर केवल एक निराकार ऊर्जा है, या फिर वह किसी साकार रूप में भी हमारी पूजा-अर्चना का पात्र हो सकता है? इस लेख में हम इन प्रश्नों के उत्तर तलाशेंगे और वेदों तथा पुराणों के दृष्टिकोण से ईश्वर के दोनों स्वरूपों की गहराई से विवेचना करेंगे।
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