अद्वैत बनाम शुद्ध-अद्वैत: शंकराचार्य और वल्लभाचार्य के विचारों का अन्तर!
नमस्ते शिक्षार्थियों!
क्या यह संसार और ईश्वर एक ही हैं? या दोनों अलग-अलग शक्तियाँ हैं? यह मानवता की एक अंतहीन खोज रही है कि वह एक ऐसा उत्तर, एक ऐसी व्याख्या ढूंढ निकाले जो सब कुछ स्पष्ट कर दे।
हमारी बुद्धि, चाहे वह कितना भी विशाल क्यों न हो, उस सब को समझने की कोशिश करती है।
भारतीय दर्शन इसी खोज से भरा पड़ा है और अद्वैत और शुद्ध-अद्वैत जैसी महान दार्शनिक अवधारणाओं ने इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है। इनमें से शंकराचार्य का अद्वैत और वल्लभाचार्य का शुद्धाद्वैत विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जो इस पुरातन प्रश्न पर अपने अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं: क्या केवल एक ही वास्तविकता है या कई?
तो आइए जानते हैं कि शंकराचार्य और वल्लभाचार्य ने इस विषय पर क्या विचार प्रस्तुत किए और कैसे ये दोनों मत एक ही लक्ष्य की ओर अलग-अलग रास्ते दिखाते हैं।
अद्वैत बनाम शुद्ध-अद्वैत: शंकराचार्य और वल्लभाचार्य के विचारों का अन्तर! Read More »