तत्त्वमसि: “तुम वही हो” का मर्म
नमस्ते शिक्षार्थियों!
संस्कृत वेदांत दर्शन में चार महावाक्य माने गए हैं, और उनमें से एक महावाक्य है तत्त्वमसि, जिसका अर्थ है – “तुम वही हो”। यह गूढ़ वाक्य हमें यह बताता है कि हर व्यक्ति के भीतर जो चेतना है, वही परम सत्य का भी मूल है। जब हम अपने भीतर और इस व्यापक ब्रह्मांड के बीच का संबंध समझते हैं, तो एक गहरी आत्मिक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। यह महावाक्य हमें हमारे व्यक्तिगत अस्तित्व से बाहर ले जाकर समग्रता का अहसास कराता है।