क्या श्रीनिवास रामानुजन पर थी दैवीय कृपा? एक अद्भुत गणितज्ञ की प्रेरणादायक यात्रा

नमस्ते शिक्षणार्थियों

16 जनवरी 1913 का दिन इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन मद्रास के एक साधारण क्लर्क द्वारा भेजा गया पैकेज इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पहुंचा। इस पैकेज में कुछ गणितीय समीकरण और पत्र थे, जो वहां के प्रसिद्ध गणितज्ञ जी.एच. हार्डी को संबोधित थे। हार्डी ने उस दिन न जाने कितने ही शोध-पत्र देखे होंगे, लेकिन यह पत्र अलग था। यह किसी साधारण व्यक्ति का लिखा हुआ नहीं लग रहा था, बल्कि इसमें कुछ ऐसा था जो उन्हें सोचने पर मजबूर कर गया।

इस पत्र के लेखक थे श्रीनिवास रामानुजन, एक युवा गणितज्ञ, जिनकी गणितीय प्रतिभा किसी रहस्य से कम नहीं थी। बिना औपचारिक शिक्षा के, रामानुजन ने गणित में ऐसे-ऐसे सूत्र खोजे जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं। यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि रामानुजन की यह विलक्षणता उनकी मेहनत का परिणाम थी या उनके पीछे किसी दैवीय शक्ति का हाथ था।

क्या श्रीनिवास रामानुजन पर थी दैवीय कृपा? एक अद्भुत गणितज्ञ की प्रेरणादायक यात्रा Read More »

“अहम् ब्रह्मास्मि”: मैं ही ब्रह्म हूँ

नमस्ते शिक्षणार्थियों,

क्या आपने कभी सोचा है कि आप कौन हैं? हमारे ऋषियों ने बहुत पहले ही इस सवाल का जवाब दिया था। उन्होंने कहा, “अहम् ब्रह्मास्मि”, जिसका अर्थ  है – “मैं ब्रह्म हूँ”। यह वाक्य बहुत सरल दिखता है, लेकिन इसके भीतर जो गहरा अर्थ छुपा है, यह जीवन की वास्तविकता को परिभाषित करता है।

“अहम् ब्रह्मास्मि”: मैं ही ब्रह्म हूँ Read More »

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का रहस्य: कहानियाँ, परंपराएँ और अर्थ

नमस्ते शिक्षार्थियों!

दिवाली का नाम सुनते ही हमारे मन में खुशियाँ, रोशनी, मिठाइयाँ और रंग-बिरंगी सजावट का ख्याल आता है। लेकिन इस खुशी के मौके पर एक प्रश्न  अधिकतरमन में उठता है – अगर यह पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है, तो इस दिन हम माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा क्यों करते हैं? आइए, दिवाली के इस पर्व के पीछे छिपे रहस्यों, परंपराओं और गहरे अर्थों को एक-एक करके जानें और समझें कि क्यों हर घर में दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश का विशेष पूजन होता है।

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का रहस्य: कहानियाँ, परंपराएँ और अर्थ Read More »

तत्त्वमसि: “तुम वही हो” का मर्म

नमस्ते शिक्षार्थियों!

संस्कृत वेदांत दर्शन में चार महावाक्य माने गए हैं, और उनमें से एक महावाक्य है तत्त्वमसि, जिसका अर्थ है – “तुम वही हो”। यह गूढ़ वाक्य हमें यह बताता है कि हर व्यक्ति के भीतर जो चेतना है, वही परम सत्य का भी मूल है। जब हम अपने भीतर और इस व्यापक ब्रह्मांड के बीच का संबंध समझते हैं, तो एक गहरी आत्मिक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। यह महावाक्य हमें हमारे व्यक्तिगत अस्तित्व से बाहर ले जाकर समग्रता का अहसास कराता है।

तत्त्वमसि: “तुम वही हो” का मर्म Read More »

रामायण के टीवी संस्करण में दिखाए गए ऐसे दृश्य जो वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलते

नमस्ते शिक्षार्थियों!

रामायण एक ऐसी अद्भुत कथा है, जिसे हर पीढ़ी ने अपने तरीके से अपनाया और दोबारा सुनाया है। यह कथा सिर्फ एक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक महान गाथा है जो हमें अच्छे गुण सिखाती है—जैसे सच्चाई, साहस, और प्रेम। वाल्मीकि रामायण सबसे पुरानी रामायण मानी जाती है, परंतु समय के साथ इसके और भी संस्करण बने, जैसे रामचरितमानस, उड़िया रामायण, बंगाली कृत्तिवासी रामायण आदि। हर जगह के लोगों ने रामायण की कथा में अपने अनुसार कुछ न कुछ नया जोड़ा।

जब टीवी और फिल्मों में रामायण को दिखाया गया, तो इसमें कई ऐसे दृश्य जोड़े गए जो हमें बहुत पसंद आए। पर क्या आपको पता है कि इनमें से कुछ दृश्य तो वाल्मीकि रामायण में हैं ही नहीं? इस ब्लॉग में हम उन दृश्यों की बातें करेंगे जो टीवी पर तो दिखाए जाते हैं, लेकिन वास्तविकता में वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं हैं। तो चलिए, इन कहानियों की सत्यता को जानें।

रामायण के टीवी संस्करण में दिखाए गए ऐसे दृश्य जो वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलते Read More »

Rene Descartes

मन और शरीर का द्वैतवाद: डेकार्ट्स और सांख्य दर्शन का दृष्टिकोण

नमस्ते शिक्षार्थियों!

हमारे शरीर और मन के बीच का संबंध क्या है? ये सवाल हमे सदैव ही संदेह में डालता आया है। इस द्वैतवाद को समझने के लिए पश्चिम के महान दार्शनिक रेने डेकार्ट्स का मन-शरीर द्वैतवाद और भारतीय सांख्य दर्शन ने अपने अपने मत प्रस्तुत किए है। आइए, समझते है कि कैसे ये दो विपरीत दर्शन हमारे मन और शरीर के जटिल संबंध के रहस्य को समझाते है।

मन और शरीर का द्वैतवाद: डेकार्ट्स और सांख्य दर्शन का दृष्टिकोण Read More »