इंद्र : वेदों में ईश्वर से पुराणों में भोगी राजा

नमस्ते शिक्षणार्थियों,

बहुत समय पहले, जब दुनिया नई थी, धरती, आकाश और नदियों को मानवीय रूप दिया गया था। बारिश, बिजली, और हवा को देवताओं की शक्तियाँ माना गया। इन देवताओं में सबसे प्रमुख थे इंद्र। वेदों के अनुसार, इंद्र एक महान योद्धा, प्रकृति के संरक्षक और देवताओं के नेता थे।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इंद्र का स्वरूप बदलने लगा। जो इंद्र वेदों में धरती और आकाश को रचने वाले सृजनकर्ता थे, वे पौराणिक कथाओं में एक स्वार्थी, भोग-विलासी और ईर्ष्यालु राजा के रूप में दिखाए गए।

यह बदलाव क्यों हुआ? इसकी वजह क्या थी? चलिए, इस रहस्य को जानने के लिए इंद्र की पूरी यात्रा को समझते हैं।

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Indra: From the Lord of Vedas to the King of Myths

Namaste Shikshanarthi’s

Have you ever wondered why Indra, the most revered god in the Vedic texts, is often portrayed as a flawed king in later scriptures? Why did this mighty figure, celebrated as the universal creator, end up as a symbol of indulgence and moral weakness in the Puranas?

This transformation isn’t just a narrative shift it reveals a profound evolution in India’s spiritual and cultural consciousness. Let us unravel the layers of Indra’s fascinating story, from his glory in the Rigveda to his controversial depictions in the Ramayana, Mahabharata, and Buddhist traditions.

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क्या श्रीनिवास रामानुजन पर थी दैवीय कृपा? एक अद्भुत गणितज्ञ की प्रेरणादायक यात्रा

नमस्ते शिक्षणार्थियों

16 जनवरी 1913 का दिन इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन मद्रास के एक साधारण क्लर्क द्वारा भेजा गया पैकेज इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पहुंचा। इस पैकेज में कुछ गणितीय समीकरण और पत्र थे, जो वहां के प्रसिद्ध गणितज्ञ जी.एच. हार्डी को संबोधित थे। हार्डी ने उस दिन न जाने कितने ही शोध-पत्र देखे होंगे, लेकिन यह पत्र अलग था। यह किसी साधारण व्यक्ति का लिखा हुआ नहीं लग रहा था, बल्कि इसमें कुछ ऐसा था जो उन्हें सोचने पर मजबूर कर गया।

इस पत्र के लेखक थे श्रीनिवास रामानुजन, एक युवा गणितज्ञ, जिनकी गणितीय प्रतिभा किसी रहस्य से कम नहीं थी। बिना औपचारिक शिक्षा के, रामानुजन ने गणित में ऐसे-ऐसे सूत्र खोजे जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं। यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि रामानुजन की यह विलक्षणता उनकी मेहनत का परिणाम थी या उनके पीछे किसी दैवीय शक्ति का हाथ था।

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The Divine Mathematician: The Story of Srinivasa Ramanujan

Namaste Shikshanarthi’s

In a small town in India lived a boy who saw magic where others saw numbers. His name was Srinivasa Ramanujan. To the world, he became a mathematical genius. To those who worked with him, he was a puzzle they couldn’t solve. How could someone with no formal education create theories that would change mathematics forever? Was it sheer brilliance, divine grace, or both?

Today, let’s dive into the story of this extraordinary man, a story of genius, intuition, and inspiration that connects all ages and cultures.

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Unfolding the Wisdom of “Aham Brahmasmi” and Its Connection to the Eternal Universe

Namaste Shikshanarthi’s

The words “Aham Brahmasmi” sound like a simple statement. But hidden within these words is a universe of meaning that can change the way we see ourselves and the world. Today, let’s explore not just the meaning of this phrase but also the deeper spiritual and scientific truths it carries. We’ll also connect this wisdom to the mysteries behind famous teachings and traditions, such as Sabarimala.

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“अहम् ब्रह्मास्मि”: मैं ही ब्रह्म हूँ

नमस्ते शिक्षणार्थियों,

क्या आपने कभी सोचा है कि आप कौन हैं? हमारे ऋषियों ने बहुत पहले ही इस सवाल का जवाब दिया था। उन्होंने कहा, “अहम् ब्रह्मास्मि”, जिसका अर्थ  है – “मैं ब्रह्म हूँ”। यह वाक्य बहुत सरल दिखता है, लेकिन इसके भीतर जो गहरा अर्थ छुपा है, यह जीवन की वास्तविकता को परिभाषित करता है।

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