तत्त्वमसि: “तुम वही हो” का मर्म

नमस्ते शिक्षार्थियों!

संस्कृत वेदांत दर्शन में चार महावाक्य माने गए हैं, और उनमें से एक महावाक्य है तत्त्वमसि, जिसका अर्थ है – “तुम वही हो”। यह गूढ़ वाक्य हमें यह बताता है कि हर व्यक्ति के भीतर जो चेतना है, वही परम सत्य का भी मूल है। जब हम अपने भीतर और इस व्यापक ब्रह्मांड के बीच का संबंध समझते हैं, तो एक गहरी आत्मिक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। यह महावाक्य हमें हमारे व्यक्तिगत अस्तित्व से बाहर ले जाकर समग्रता का अहसास कराता है।

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रामायण के टीवी संस्करण में दिखाए गए ऐसे दृश्य जो वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलते

नमस्ते शिक्षार्थियों!

रामायण एक ऐसी अद्भुत कथा है, जिसे हर पीढ़ी ने अपने तरीके से अपनाया और दोबारा सुनाया है। यह कथा सिर्फ एक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक महान गाथा है जो हमें अच्छे गुण सिखाती है—जैसे सच्चाई, साहस, और प्रेम। वाल्मीकि रामायण सबसे पुरानी रामायण मानी जाती है, परंतु समय के साथ इसके और भी संस्करण बने, जैसे रामचरितमानस, उड़िया रामायण, बंगाली कृत्तिवासी रामायण आदि। हर जगह के लोगों ने रामायण की कथा में अपने अनुसार कुछ न कुछ नया जोड़ा।

जब टीवी और फिल्मों में रामायण को दिखाया गया, तो इसमें कई ऐसे दृश्य जोड़े गए जो हमें बहुत पसंद आए। पर क्या आपको पता है कि इनमें से कुछ दृश्य तो वाल्मीकि रामायण में हैं ही नहीं? इस ब्लॉग में हम उन दृश्यों की बातें करेंगे जो टीवी पर तो दिखाए जाते हैं, लेकिन वास्तविकता में वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं हैं। तो चलिए, इन कहानियों की सत्यता को जानें।

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Rene Descartes

मन और शरीर का द्वैतवाद: डेकार्ट्स और सांख्य दर्शन का दृष्टिकोण

नमस्ते शिक्षार्थियों!

हमारे शरीर और मन के बीच का संबंध क्या है? ये सवाल हमे सदैव ही संदेह में डालता आया है। इस द्वैतवाद को समझने के लिए पश्चिम के महान दार्शनिक रेने डेकार्ट्स का मन-शरीर द्वैतवाद और भारतीय सांख्य दर्शन ने अपने अपने मत प्रस्तुत किए है। आइए, समझते है कि कैसे ये दो विपरीत दर्शन हमारे मन और शरीर के जटिल संबंध के रहस्य को समझाते है।

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कौन थे वानर ?: रामायण के योद्धाओं का वास्तविक परिचय

नमस्ते शिक्षार्थियों!

क्या आपने कभी सोचा है कि रामायण की वानर सेना, जिसमें हनुमान जी, सुग्रीव, अंगद, और बालि जैसे वीर शामिल थे, वास्तव में कौन थे? क्या वे बंदर थे, जैसा कि हम अक्सर सोचते हैं, या सत्य कुछ और ही है? आइए, हम मिलकर वाल्मीकि रामायण की इस गुत्थी को सुलझाने की एक यात्रा पर चलें, जहाँ इस अद्भुत वानर सेना का वास्तविक रूप धीरे-धीरे हमारे सामने उजागर होगा।

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उपनिषदों से मिलने वाली अद्भुत शिक्षाएँ (भाग 2)

नमस्ते शिक्षार्थियों!

उपनिषद् केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, वे जीवन को समझने और सही दिशा में चलने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन देते हैं। ये हमारे प्राचीन ज्ञान के वह बहुमूल्य संग्रह हैं जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं जितने सहस्त्रों वर्ष पहले थे। इस दूसरे भाग में हम उन पाँच और उपनिषदों की ओर देखेंगे, जिनकी शिक्षाएं हमारे जीवन में स्थायित्व, उद्देश्य और संतुलन लाने में सहायता करती हैं।

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काम और सनातन धर्म

नमस्ते शिक्षार्थियों,

क्या आपने कभी सोचा है कि काम को केवल वासना के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, या इसका कुछ और भी अर्थ हो सकता है? सनातन धर्म, जिसे हजारों वर्षों से हमारे ऋषि-मुनियों ने संरक्षित रखा है, काम के विषय पर एक विस्तृत और गहन दृष्टिकोण रखता है। कई बार हमें इसे समझने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि हमारे समाज में इस पर बात करने से अधिकतर परहेज किया जाता है। लेकिन इस लेख में हम सरल रूप में समझने की कोशिश करेंगे कि सनातन धर्म में काम की क्या भूमिका है, क्यों इसे संयम के साथ निभाने पर जोर दिया गया है, और इसके पीछे का वास्तविक दृष्टिकोण क्या है।

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